पैंशन धारक व उनके आश्रितों के मैडिकल बिल की हो जल्द अदायगी: संजीव अरोड़ा
होशियारपुर: पंजाब सरकार द्वारा पैंशनरों एवं उनके आश्रितों के साथ-साथ जो अधिकारी एवं कर्मचारी अभी सर्विस में हैं उनके मैडिकल बिलों की अदायगी का ना होना बहुत ही दुख की बात है। यूनियनों द्वारा बार-बार सरकार से मांग करने के बावजूद इसका कोई ठोस हल नहीं निकाला जा रहा । जिसके चलते पैंशनरों एवं इन सर्विस कर्मियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है । यह बात नगर निगम के रिटायर्ड सुपरिंटेंडेंट व भारत विकास परिषद के अध्यक्ष एवं प्रमुख समाज सेवी संजीव अरोड़ा ने आज यहां जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कही। श्री अरोड़ा ने कहा कि पंजाब सरकार द्वारा पहले यह व्यवस्था थी कि मेडिकल बिलों की अदायगी 50000 रु तक सिविल सर्जन तथा इससे ऊपर की रकम की अदायगी डायरैक्टर हैल्थ द्वारा की जाती थी, लेकिन अब सरकार द्वारा 100000 रु तक के बिलों की अदायगी की सिविल सर्जन द्वारा मैडिकल बोर्ड की स्वीकृति के उपरांत किए जाने का प्रावधान किया गया है।
लेकिन सवाल यह है कि जिन लोगों के इससे पहले के करीबन 3 वर्ष पुराने बिलों की अदायगी नहीं हो रही है। श्री अरोड़ा ने कहा कि सरकार को मैडिकल बिलों की अदायगी संबंधी पॉलिसी तैयार करनी चाहिए तथा अदायगी का समय तय करना चाहिए । उन्होंने कहा कि जो अधिकारी व कर्मचारी समर्थ हैं उन्हें मैडिकल बिलों की अदायगी संबंधी कोई खास फर्क नहीं पड़ता लेकिन मध्यवर्गीय पैंशनरों व उनके आश्रितों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है ।
एक तरफ महंगाई इतनी बढ़ती जा रही है दूसरी तरफ 30-40 वर्ष तक सरकार की नौकरी करने वाले मुलाजिमों को सेवानिवृत होने उपरांत भी परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है । क्योंकि इलाज महंगा होने के कारणअ असमर्थ हैं तथा उपर से 2-3 वर्ष तक बिलों की अदायगी का न होना उनकी परेशानी को और बड़ा देता है।श्री अरोड़ा ने बताया कि बिलों की अदायगी सम्बंधी जब कोई कर्मचारी सिविल सर्जन कार्यालय जाता है तो वह कह देते हैं कि बिल हैड ऑफिस भेजें भेज दिए गए हैं और जब वहां पता करने जाते हैं तो उनका कहना होता है कि अभी देख रहे हैं , जल्दी ही क्लियर हो जाएंगे। जबकि सिविल सर्जन कार्यालय द्वारा रिमाइंडर भेजने के बावजूद भी डायरैक्टर कार्यालय द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जाती ।
इसलिए सरकार से अपील है कि इन सर्विस अधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ-साथ पैंशनरों व उनके आश्रितों की इस गंभीर समस्या का हल करते हुए मैडिकल बिलों की अदायगी को सरल बनाते हुए समय सीमा तय की जाए। इसके साथ ही उन अधिकारियों पर भी कार्यवाही की जाए जिन्होंने 2-3 वर्षों के बिलों की अदायगी को रोक कर रखा है। श्री अरोड़ा ने सरकार से अपील की कि वह खुद इस मामले का संज्ञान लेते हुए कार्यवाही करे।