रासायनयुक्त खाद्य पदार्थ मानव जीवन और पर्यावरण के लिये घातकः संजीव अरोड़ा
होशियारपुर (27 जून) : भारत विकास परिषद की ओर से पर्यावरण संरक्षक और खाद्य पदार्थों में बढ़ते रसायनों के प्रभाव विषय पर प्रधान एवं प्रमुख समाज सेवी संजीव अरोड़ा की अध्यक्षा में संगौष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर संजीव अरोड़ा ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण बातों से हीं नहीं बल्कि इसके लिये ज़मीनी स्तर पर प्रयास करने से ही संभव हो सकेगा।
उन्होंने कहा कि बिगड़ते पर्यावरण के संतुलन के लिये मानव सबसे अधिक ज़िम्मेवार है क्योंकि मानव कम समय में अधिक मुनाफे के चक्कर में जहां वनों की अन्धाधुंध कटाई करने में लगा हुआ है वहीं गेहूं, मक्की, फलों और सब्ज़ियों में बढ़ता रसायन का प्रभाव भी इसे बुरी तरह प्रभावित कर रहा है।
इतना ही नहीं मिठाईओं में बढ़ते स्क्रीन के प्रयोग व सिंथैटिक मिठाईयों के चलन से भी मानव जीवन व पर्यावरण पर विपरीत असर पड़ रहा है जिसे रोकने के लिये जहां सम्बन्धित विभाग को पूरी सख्ती के साथ कारवाई अमल में लानी चाहिये वहीं समाज सेवी व पर्यावरण संरक्षण के कार्यों में लगी संस्थाओं को भी चाहिये कि वे लोगों को जागरूक करें ताकि रसायनयुक्त वस्तुओं का प्रयोग न किया जा सके।
संजीव अरोड़ा ने बताया कि हैरानी की बात हैं कि फलों को पकाने के लिये जहां पौटाश आदि का प्रयोग किया जाता था वहीं अब चाईना निर्मित पाऊडर का प्रयोग बढ़ने लगा है। बताया जा रहा है कि यह पाऊडर बेहद हानिकारक है। जिस पर रोक लगाया जाना बेहद ज़रूरी है।
इस अवसर पर राजिन्द्र मोदगिल, एच.के.नक्कड़ा एन.के गुप्ता व एस.पी.सिंह ने कहा कि पर्यावरण से छेडछाड़ के नतीजे हमें भुगतने पड़ रहे हैं तथा अगर ऐसे ही चलता रहा तो आने वाली पीड़ियां हमें कोसेंगी क्योंकि तब तक इन सब पर काबू पाना असम्भव हो चुका होगा। उन्होंने फल विक्रेताओं ओर किसानों से अपील की कि वह फलों व सब्ज़ियों को पकाने के लिये किसी भी प्रकार के रसायन व मसाले का प्रयोग न करें तथा हलवाईयों से भी अपील करते हुये कहा कि वह सिंथैटिक रसों व मिठाईयों से परहेज़ करें ताकि इसका पर्यावरण व मानव की सेहत पर बुरा प्रभाव न पड़े।