हेपेटाइटिस का समय पर इलाज जरूरी: डॉ सुमित कैंथ
होशियारपुर, 18 अप्रैल: “दुनिया भर में हर साल वायरल हेपेटाइटिस के कारण लगभग 1.3 मिलियन मौतें होती हैं। भारत में 40 मिलियन लोग हेपेटाइटिस बी से और लगभग 12 मिलियन लोग हेपेटाइटिस सी से संक्रमित हैं। हेपेटाइटिस-बी, हेपेटाइटिस-सी, अत्यधिक शराब का सेवन और नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज भारत में लिवर डैमेज के प्रमुख कारण हैं।“
वर्ल्ड लिवर डे की पूर्व संध्या पर गुरुवार को आईवीवाई अस्पताल में डायरेक्टर जनरल सर्जरी, जीआई सर्जन, एचबीपी और लिवर ट्रांसप्लांट डॉ अरुणांशु बेहरा ने बताया कि लिवर सिरोसिस के इलाज में एक बड़ा बदलाव आया है और भारत में हर साल लगभग 10 लाख नए रोगियों का इलाज किया जाता है। एक बार जब किसी मरीज को सिरोसिस का पता चल जाता है, तो डैमेज के पलटने की संभावना बहुत कम होती है।
कंसल्टेंट गैस्ट्रोएंटरोलॉजी डॉ सुमित कैंथ ने कहा, “वायरल हेपेटाइटिस एक संक्रामक डिजीज है जो हेपेटाइटिस वायरस ए, बी, सी, डी और ई के कारण होता है। समय के साथ, स्थिति लिवर फाइब्रोसिस (घाव), सिरोसिस या लिवर कैंसर में बदल सकती है। पांच मुख्य हेपेटाइटिस वायरस हैं, जिन्हें प्रकार ए, बी, सी, डी और ई कहा जाता है। विशेष रूप से, प्रकार बी और सी दुनिया भर में लाखों लोगों में पुरानी बीमारी का कारण बनते हैं और साथ में, लीवर सिरोसिस और कैंसर का सबसे आम कारण हैं। हेपेटाइटिस ए और ई आमतौर पर दूषित भोजन और पानी के सेवन के कारण होता है। हेपेटाइटिस बी, सी और डी आमतौर पर कॉन्टैमिनेटेड संक्रमित ब्लड और बॉडी फ्लूइड के संपर्क से होता है।
सीनियर कंसल्टेंट जनरल और लेप्रोस्कोपिक सर्जरी डॉ श्रीनाथ राठौड़ ने बताया कि 80% से अधिक मधुमेह रोगियों में स्वस्थ वसा की तुलना में अधिक वसा होती है, और इससे नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज का विकास हो सकता है। मधुमेह और फैटी लीवर का एक साथ होना घातक है लेकिन जीवन शैली में संशोधन करके फैटी लीवर डिजीज को रोका जा सकता है।
एसोसिएट कंसलटेंट जीआई सर्जरी डॉ दिविज जयंत ने बताया कि भारत में अल्कोहलिक लीवर डिजीज की उम्र कम हो रही है और यह ज्यादातर 30 से 40 वर्ष की आयु से कम होती है, जबकि पश्चिमी दुनिया में इस बीमारी की औसत आयु 45 से 55 वर्ष हो गई है।