Hoshairpur

तीक्ष्ण सूद ने हिंदी के विलक्षण विद्वान धर्मपाल साहिल को किया सन्मानित

होशियारपुर ( 16 मई): पूर्व कैबिनेट मंत्री व वरिष्ठ भाजपा नेता तीक्ष्ण सूद द्वारा जारी प्रेस नॉट में बताया हैं कि होशियारपुर निवासी हिन्दी के प्रकांड विद्वान श्री धर्मपाल साहिल जो कि शिक्षा विभाग से बतौर प्रिंसिपल रिटायर्ड हो चुके हैं तथा हिन्दी को बढ़ावा करने में बड़ी भूमिका निभाई हैं, उन्हें गृह मंत्रालय द्वारा भेजे गए पत्र में केंद्र के श्रम तथा रोज़गार मंत्रालय में हिन्दी सलाहकार समिति के गैर सरकारी सदस्य के रूप में नामित किया गया हैं ।

श्री सूद ने उनके निवासस्थान पर जा कर उन से भेंट की तथा दोशाला देकर सन्मानित किया। डॉ साहिल ने बताया कि वह अब तक हिंदी के 12 उपन्यास तथा कई अन्य लेख लिख चुके हैं। उनके द्वारा कंडी क्षेत्र पर आधारित उपन्यास “बाइस्कोप” को राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया तथा पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे अब्दुलकलाम द्वारा सन्मानित भी किया जा चुका हैं। गाँव नारू नगल में सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में उन्हों ने बतौर प्रिंसिपल उच्च गुणवत्ता के अध्यापन के साथ-साथ एक कुशल प्रशासक के रूप में काम करते हुए कंडी क्षेत्र के उस स्कूल में बहुत बढ़िया विकास का प्रबंधन करवाया था।

वह मूल रूप से रसायण विज्ञान के छात्र / अध्यापक रहे हैं परन्तु हिन्दी के साथ लगाव के कारण उन्होंने अपनी संस्कृती से सम्बन्धित इतिहास में भी कई छोविस्तापित किये थे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार तो हिन्दी को बढ़ावा करने के बहुत प्रयास कर रही हैं परन्तु बहुत दुःख से कहना पड़ रहा हैं कि पंजाब में हिन्दी के हलात दिन व दिन खराब हो रहे हैं। पंजाब में संस्कृत तथा हिंदी की उपेक्षा से पंजाब की आने वाली पीढ़ी अपनी कीमती संस्कृती से टूट रही हैं जो कि केबल भारत ही नहीं पंजाब की मजबूती के लिए भी एक बड़ा संकट पैदा कर सकती हैं।

उन्होंने सी.बी.एस.सी की सातवीं श्रेणी की पुस्तक का हवाला देते हुए कहा कि उसमें हिन्दू धर्म के बारे में अनगर्ल टिप्पणियां की गई हैं। जिस का उन्होंने कई मंचों पर विरोध भी किया पंरतु आज तक उसमें कोई सुधार नहीं किया गया । श्री सूद के साथ उपस्थित भाजपा नेता यशपाल शर्मा ने कहा कि हिन्दी के ऐसे विद्वानों विलक्षण को पंजाब सरकार द्वारा भी हिन्दी को बढ़ावा करने के लिए मंच प्रदान करना चाहिए। सबसे बड़ी बात यह हैं कि उन्हें यह नई जिम्मेवारी केन्द्र सरकार ने बिना मांगे उन की उपलब्धियों के सम्मान में दी हैं।

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