लोकसभा सदस्य ने फसली विविधता के लिए पंजाब को 20,000 करोड़ का विशेष पैकेज देने की मांग की

होशियारपुर, 21 मार्च होशियारपुर, 21 मार्च ( हरपाल लाडा ) : सदन में किसानों के मुद्दे उठाते हुए लोकसभा सदस्य डॉ. राज कुमार चब्बेवाल ने आज राज्य में फसली विविधता के लिए 20,000 करोड़ रुपए के विशेष पैकेज की मांग की।
: सदन में किसानों के मुद्दे उठाते हुए लोकसभा सदस्य डॉ. राज कुमार चब्बेवाल ने आज राज्य में फसली विविधता के लिए 20,000 करोड़ रुपए के विशेष पैकेज की मांग की।


संसद में किसानों के मुद्दों पर बोलते हुए आम आदमी पार्टी के सांसद डॉ. राज कुमार चब्बेवाल ने राज्य के किसान वर्ग की मौजूदा स्थिति पर प्रकाश डाला और केंद्र सरकार से देश के विकास में किसानों के बड़े योगदान को नजरअंदाज न करने की अपील की। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की किसान विरोधी नीतियों के कारण किसान पूरे देश में आंदोलन करने के लिए मजबूर हैं, इसलिए केंद्र को किसानों की मांगों को पूरा करना चाहिए।

डॉ. चब्बेवाल ने कहा कि पंजाब के पास केवल 3 प्रतिशत खेती योग्य जमीन (42 लाख हेक्टेयर) है, फिर भी केंद्रीय पूल में राज्य कुल गेहूं उत्पादन में 18 प्रतिशत गेहूं, चावल में 11 प्रतिशत और कपास में 4 प्रतिशत योगदान देता है। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार ने पहले ही देश के गन्ना उत्पादकों को गन्ने की सबसे अधिक कीमत दी है और राज्य में गन्ना किसानों को सबसे अधिक स्टेट एग्रीड मूल्य (एसएपी) यानी 400 रुपए से अधिक प्रदान कर रही है।
उन्होंने कहा कि राज्य में अन्य फसलों के साथ-साथ मक्के की खेती को भी बढ़ावा दिया जा रहा है और राज्य सरकार की ओर से धान की सीधी बिजाई तकनीक अपनाने वाले किसानों को प्रति एकड़ 1500 रुपए की वित्तीय सहायता भी दी जा रही है।
सांसद डॉ. चब्बेवाल ने अपील की कि राज्य सरकार द्वारा फसली विविधता को प्रोत्साहित करके धान और गेहूं बोने की परंपरा से हटकर अन्य फसलों की खेती के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है और केंद्र को इस उद्देश्य के लिए 20,000 करोड़ रुपए का विशेष पैकेज देकर राज्य के प्रयासों को बढ़ावा देना चाहिए।
स्वतंत्रता संग्राम और हरित क्रांति में पंजाबियों के योगदान का जिक्र करते हुए डॉ. चब्बेवाल ने कहा कि पंजाब देश को खाद्य सुरक्षा के मामले में आत्मनिर्भर बनाने में हमेशा अग्रणी रहा है। अन्य फसलों पर भी न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग करते हुए डॉ. चब्बेवाल ने कहा कि देश के किसानों को खेती के हालात में बदलाव और खेती व मशीनरी की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण कई चुनौतियों और समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, इसलिए केंद्र को खास तौर पर मुश्किल समय में किसानों के कंधे से कंधा मिलाकर काम करना चाहिए।